||| " कलाम " कमाल था |||

||| " कलाम " कमाल था |||

अबुल पकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम 

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रुला गया जो मुल्क के हर नर - नारी को,
बड़ा नायाब वो "हिन्द का नगीना" था |
वादिये-हिन्द पर रात मखमली शबनम जो बिखरी,
वो अब्दुल कलाम का खून-पसीना था ||

 

कलियों की कोमलता को, कलरव कर कूजित करता |
कुदरत का काबिल करिश्मा "कलाम" कमाल था || १ ||

 

सच सोचो-समझो तो, लगता हैं ऐसा मुझको,
इंसान नहीं वो कोई महापुरुष अवतारी था |
फरिश्तों की दुवाओं का कुबूले-असर, और
करिश्मा कुदरत का "कलाम" कमाल था ||

 

कलियों की कोमलता को, कलरव कर कूजित करता |
कुदरत का काबिल करिश्मा "कलाम" कमाल था || २ ||

 

मानवता का सेवक वो महामानव
वीणा वादक, सरस्वती साधक था |
सहजता से सृजन को समेटे हुए,
जाज्व्लयमान जन, जीवट समर्पित था ||

 

कलियों की कोमलता को, कलरव कर कूजित करता |
कुदरत का काबिल करिश्मा "कलाम" कमाल था || ३ ||

 



डॉ० सुधीर नारायण सिंह,
असिस्टेंट प्रोफेसर,
इंग्लिश एंड कम्युनिकेशन स्किल्स
टी. आई. टी. एंड एस., बिरला कॉलोनी,
भिवानी, हरियाणा, ( १२७ ०२१ ) भारत

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